MP उपचुनाव 2020: विधानसभा उपचुनाव MP की 28 सीटों पर, जानिए क्या हालत है गोहद विधानसभा की ?
गोहद, डिजिटल डेस्क । मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। राजनीतिक दलों की तैयारी, चुनाव की घोषणा के साथ बहुत बढ़ गई है। हिंदी न्यूज़ तड़का न्यूज़ के इस श्रृंखला में, आज हम आपको गोहद विधानसभा की स्थिति बताने जा रहे हैं। गोहद सीट पर ठाकुर, ओबीसी, ब्राह्मण मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। गोहद सीट पर इस बार तीन तरहका मुकाबला देखा जा सकता है। कांग्रेस ने मेवाराम जाटव को बीजेपी में शामिल हुए रणवीर जाटव के सामने नया उम्मीदवार खड़ा किया है। वहीं, BSP ने जसवंत पटवारी को टिकट दिया है।
गोहद विधानसभा सीट के बारे में जानिए
मध्य प्रदेश के भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट है। यह भिंड लोकसभा सीट का एक एहम भाग है, जो चंबल क्षेत्र में आता है। और येह सीट परिकलित जाति के लिए रिजर्व किया गया है। गोहद सीट पर आजादी के बाद से 16 बार चुनाव लड़ा गया है, लेकिन विधायक को शुरुआती तीन चुनावों को छोड़कर हर बार बाहरी उम्मीदवार के रूप में चुना जाता है। 1957 में प्रथम सुशीला सोबरन सिंह भदोरिया, 1962 में रामचरणलाल थापक और 1967 में कन्हैयालाल माहोरे गोहद विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इसके बाद, 1972 के बाद से, यहां लगातार बाहरी उम्मीदवार जीते हैं। खास बात यह है कि गोहद सीट पर न केवल भिंड जिले की अन्य विधानसभाओं के निवासी बल्कि उज्जैन और ग्वालियर के अन्य जिलों के उम्मीदवार भी विधायक बने।
कौन किस पर भारी?
वर्ष 1957 से अब तक, जब गोहद विधानसभा क्षेत्र से चुने गए विधायकों को देखा गया, तो भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर हावी रही। पिछले 16 चुनावों में भाजपा के विधायक यहां से आठ बार चुने गए। जबकि कांग्रेस के विधायक केवल 6 बार चुने गए हैं। वहीं, बसपा और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के भी यहां एक बार विधायक रहे हैं। यह सीट 2009 में भी हुई थी जिसमें रणवीर जाटव जीते थे। हालांकि, अब रणवीर जाटव बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
जातिगत समीकरण गोहद सीट की बात करें तो ब्राह्मण, ओबीसी, ठाकुर मतदाता यहां महत्वपूर्ण परिस्थिति में हैं। इसके सिवा मुस्लिम, जैन समाज और दलित समाज के मतदाता ओं का नतीजा है। यही वजह है कि कांग्रेस ने मेवाराम जाटव को उम्मीदवार बनाया है। जाटव दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्व में बसपा से वर्ष 2008 में और वर्ष 2013 में कांग्रेस के टिकट से उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। यह उनका तीसरा मौका है। हालांकि, अब तक वे विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए हैं। पहली बार गोहद विधानसभा में जब मेवाराम जाटव ने 2008 में बसपा से चुनाव लड़ा, तो उनका सामना माखनलाल जाटव (रणवीर के पिता) से हुआ।
राजनीतिक समीकरण का व्यावहारिक ज्ञान
चुनाव में 22 सीटों पर, जो 28 सीटों पर होने जा रहे हैं, पूर्व विधायकों के हैं, जिन्होंने 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बियोरा, आगर और जौरा ये तीन अन्य सीटें यहां के विधायकों के निधन के कारण रिक्त हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा में तीन विधायक बाद में शामिल हो गए और जिसके कारण इन सीटों पर उपचुनाव होने हैं। राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो वर्तमान में कांग्रेस के पास विधानसभा में 88 विधायक हैं। उसे बहुमत के लिए 116 विधायकों की जरूरत होगी। ऐसे में अगर कांग्रेस को सत्ता में वापसी करनी है, तो उसे 28 में से 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं और उसे सत्ता में रहने के लिए केवल 9 सीटों की जरूरत है।