LAC पर तनाव खत्म करने के लिए चीन ने दिया ‘खास प्रपोजल’, गहन विचार के बाद भारत करेगा फैसला

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    LAC पर तनाव खत्म करने के लिए चीन ने दिया ‘खास प्रपोजल’, गहन विचार के बाद भारत करेगा फैसला

    एलएसी पर सर्दी बढ़ने के साथ ही चीनी सैनिकों के लिए फॉरवर्ड लोकेशन पर ड्यूटी करना बेहद मुश्किल हो रहा है. इस कारण चीनी सेना ने सातवें दौर की मीटिंग में भारत को एक खास ‘प्रपोज़ल’ दिया है जिससे एलएसी पर दोनों देशों के बीच तनाव को खत्म किया जा सकता है. बता दें कि इस प्रपोजल के बारे में सेना और सरकार की टॉप लीडरशिप के सिवाय किसी को कोई जानकारी नहीं है. लेकिन सूत्रों से जो एबीपी न्यूज को जानकारी मिली है उसके मुताबिक, भारत इस प्रपोजल पर काफी गहनता से विचार करने के बाद ही कोई कदम उठाएगा.

    सेना और देश की टॉप पॉलिटिकल लीडरशिप तक सीमित है प्रपोजल

     एबीपी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक, 12 अक्टबूर को सातवें दौर की मीटिंग के दौरान चीन की पीएलए सेना ने भारतीय सेना के प्रतिनिधिमंडल के प्रतिनिधि को ये खास प्रपोजल दिया था. ये खास प्रपोजल लेह स्थित कोर कमांडर ने सेना की टॉप लीडरशिप से साझा किया है ताकि पॉलिटिकल लीडरशिर से इस पर विचार कर कोई फैसला लिया जाए. ये एक टॉप-सीक्रेट प्रपोजल है जिसे देश की लीडरशिप को ही जानकारी है. लेकिन उच्चपदस्थ सूत्रों ने एबीपी न्यूज को इतना जरूर बताया है कि, ये एक नया प्रपोजल है जो चीन ने पहले कभी साझा नहीं किया था. इस प्रपोजल पर विचार चल रहा है. लेकिन भारत क्या इस प्रपोजल को मानेगा या नहीं अभी इस पर सस्पेंस बरकरार है.वहीं सूत्रों ने ये भी साफ कर दिया है कि सातवें दौर की मीटिंग में भारत ने भी एलएसी पर टकराव खत्म करने के लिए एक प्रपोजल दिया है. चीन की पीएलए सेना भी अपने देश के राजनैतिक नेतृत्व से इस पर सलाह-मशविरा कर रही है. अगली मीटिंग में ही दोनों देश अपना-अपना कार्ड खोलेंगे.

    12 अक्टूबर को हुई कोर कमांडर स्तर की 7वें दौर की मीटिंग

    बता दें कि 12 अक्टूबर को दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की मीटिंग हुई थी. ये मीटिंग करीब 13 घंटे चली थी. भारत की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और उनकी जगह ले रहे लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने हिस्सा लिया था. इस मीटिंग के अगले ही दिन हरिंदर सिंह ने लेह कोर की जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट जनरल मेनन को दे दी थी. हरिंदर सिंह अपना कोर कमांडर का कार्यकाल पूरा कर अब देहरादून स्थित आईएमए के कमांडेंट के पद पर पहुंच गए हैं.

    गहन विचार के बाद ही प्रस्ताव को स्वीकार करेगा भारत

    सातवें दौर की मीटिंग में चीन की पीएलए सेना का नेतृत्व किया था शिनचियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर जनरल लियू लिन ने. माना जा रहा है कि चीन के इस खास ‘प्रपोजल’ को लियू लिन ने ही भारत के कोर कमांडर से सीधे साझा किया है. हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि एलएसी पर तनाव खत्म करने के लिए जो भी बातचीत चल रही है वो भारत और चीन के बीच ही है. उन्होनें चीन के प्रपोजल पर कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया था.

    पिछले प्रपोजल को भारत ने कर दिया था खारिज

    आपको बता दें कि 21 सितंबर को छठे दौर की मीटिंग में भी चीन ने टकराव खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव दिया था जिसे भारत ने एक सिरे से खारिज कर दिया था. इस प्रस्ताव में चीन ने भारतीय सेना को पैंगोंग-त्सो लेक के दक्षिण में कैलाश रेंज (‘चुशूल हाईट्स’) की गुरंग हिल, मगर हिल, मुखपरी और रेचिन ला से पिछे हटने के लिए कहा था. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि डिसइंगेजमेंट होगा तो पूरी एलएसी पर होगा. ऐसी स्थिति में चीनी सेना को पैंगोंग-त्सो लेक से सटी फिंगर 4-8 के पीछे जाना पड़ता. लेकिन चीनी सेना इसके लिए तैयार नहीं हुई थी. ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन के इस नए प्रपोजल में क्या हो सकता है.

    पूर्वी लद्दाख से सटी LAC पर भारत की स्थिति बेहद मजबूत

    वहीं भारतीय सेना के पूर्व उप-प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के मुताबिक, चुशूल-हाईट्स (कैलाश पर्वत-श्रृंखला) को अपने अधिकार-क्षेत्र में लेने से भारत की स्थिति पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर बेहद मजबूत हो गई है. क्योंकि चीन के सामरिक महत्व के स्पैंगूर गैप इलाके के दोनों तरफ अब भारतीय सैनिक मजबूत है. साथ ही चीन की पीएलए सेना का मोल्डो गैरिसन भी अब सीधे तौर से भारतीय सेना की जद में आ गया है. यही वजह है कि चीन एलएसी पर जल्द से जल्द तनाव खत्म करना चाहता है और उसके लिए ही नया प्रपोजल दिया होगा.
    चीन का प्रस्ताव होना चाहिए बिल्कुल पारदर्शी

    भारतीय सेना के पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया के मुताबिक, चीन की तरफ से जो भी प्रपोजल हो वो एक ‘ट्रांसपेरेंट’ और ‘इर-रेवर्सेवल’ होना चाहिए यानि जो भी प्रस्ताव हो वो बिल्कुल पारदर्शी हो ताकि उसमें बाद में कोई गड़बड़झाला ना हो. साथ ही गलवान घाटी की तरह कोई प्रपोजल ना हो कि एक बार आप पीछे हटने के लिए तैयार हो जाएं और फिर वापस वहीं आ जाएं, जिससे हिंसक संघर्ष जैसी परिस्थिति फिर से पैदा ना होने पाएं.

     

     

     

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