सऊदी अरब से वापस लौट रही एक 40 वर्षीय महिला को इसलिए भारत आ रहे विमान में नहीं बैठने दिया गया क्योंकि उसके पास कोरोना टेस्ट कराने के लिए पैसे नहीं थे. उस महिला को कथित तौर पर उसके नियोक्ता की तरफ से कथित तौर पर बंधक बना लिया गया था. इसके बाद वह वहां से वापस लौट रही थी.
मध्य प्रदेश के हरदा जिले की रहने वाली रीना गहलोध ने नवंबर महीने में एक वीडियो संदेश के जरिए मदद की अपील की थी. इसके बाद सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास ने हस्तक्षेप किया और उसकी वापसी की व्यवस्था कराई थी.
वह महिला जो वर्तमान में सऊदी अरब के अल-कासिम के रिक्रुटमेंट शेल्टर में ठहरी हुई है. दो ऑडियो मैसेज में उसने दावा किया कि उसे सोमवार की शाम को शेल्टर कर्मियों की तरफ से कोरोना टेस्ट के लिए ले जाया गया. 5 जनवरी को डिपार्चर से पहले 850 रियाल (17 हजार रुपये) की मांग की गई.
कांग्रेस के बूंदी जिली के उपाध्यक्ष चरमेश शर्मा ने कहा कि उस महिला ने उन्हें संदेश भेजा है क्योंकि उन्होंने उस महिला की अपील पर पहले भी अथॉरिटीज से मदद करने की अपील की थी. रीना ने मैसेज में कहा- “सोमवार की शाम को करीब 6 बजे मुझे कोरोना टेस्ट के लिए सेंटर पर ले जाया गया. वहां पर मुझे विमान में डिपार्चर से पहले 850 रियाल कोविड-19 टेस्ट के लिए देने को कहा गया. “
रीना ने आगे कहा- “जब मैंने कोविड टेस्ट के पैसे चुकाने में असमर्थता जाहिर की तो मुझे यह बताया गया कि मेरा भारत जाना संभव नहीं हो पाएगा और मुझे एक महीने यहां पर काम करना होगा ताकि कोरोना टेस्ट के लिए पैसा कमा पाऊं.” वह महिला वर्क वीजा पर पिछले 11 महीने से सऊदी अरब में रह रही है.